चेन्नई। तमिलनाडु सरकार के आह्वान पर शनिवार को यहां आयेाजित पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक में अगले 25 वर्षों तक परिसीमन पर रोक लगाने की मांग की गई।
बैठक में तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों, एक उपमुख्यमंत्री और कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की अध्यक्षता में जेएसी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया कि जेएसी ने विभिन्न हितधारकों के साथ किसी भी परामर्श के बिना आसन्न परिसीमन प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। चर्चा के दौरान प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न बिंदुओं और परिदृश्यों के आधार पर जेएसी ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि केंद्र सरकार द्वारा किये गये किसी भी परिसीमन प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए, जिससे सभी राज्यों के राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों को विचार-विमर्श करने, चर्चा करने और इसमें योगदान करने का अवसर मिल सके।
प्रस्ताव में कहा गया कि इस तथ्य को देखते हुए कि 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों के पीछे विधायी मंशा उन राज्यों की रक्षा/प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है और राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं हुआ है, 1971 की जनगणना जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को और 25 साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। यह भी कहा गया कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया है और जिससे उनकी जनसंख्या में कमी आई है, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए तथा केंद्र सरकार को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन लागू करना चाहिए।
प्रस्ताव में यह संकल्प लिया गया कि प्रतिनिधित्व वाले राज्यों के सांसदों की कोर कमेटी केंद्र सरकार द्वारा ऊपर वर्णित सिद्धांतों के विपरीत किसी भी परिसीमन प्रक्रिया को शुरू करने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए संसदीय रणनीतियों का समन्वय करेगी। यह भी संकल्प लिया गया कि विभिन्न राज्यों के राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपने-अपने राज्यों में उचित विधानसभा प्रस्ताव लाने के लिए प्रयास शुरू करेंगे और केंद्र को इसकी जानकारी देंगे। जेएसी पिछले परिसीमन अभ्यासों के इतिहास और संदर्भ तथा प्रस्तावित परिसीमन के परिणामों के बारे में जानकारी अपने-अपने राज्यों के नागरिकों के बीच एक समन्वित जनमत जुटाने की रणनीति के माध्यम से प्रसारित करने के लिए आवश्यक प्रयास भी करेगी।